सैडलर आयोग शिक्षा से संबंधित था। वर्ष 1917 में सरकार ने कलकत्ता विश्वविद्यालय की संभावनाओं के अध्ययन तथा रिपोर्ट के लिए एक आयोग नियुक्त किया।
डॉ. एम.ई. सैडलर, जो लीड्स विश्वविद्यालय के उपकुलपति थे, इसके अध्यक्ष नियुक्त किए गए। इस आयोग का यह विचार था कि यदि विश्वविद्यालय शिक्षा का सुधार करना है, तो माध्यमिक शिक्षा का सुधार आवश्यक है।
इसने वर्ष 1904 के विश्वविद्यालय अधिनियम की कड़ी निंदा की और यह भी बताया कि इससे कॉलेज तथा विश्वविद्यालय शिक्षा का ठीक-ठीक समन्वय नहीं हो सकता है।