जब वैद्युतिक ऊर्जा गति में परिवर्तित होती है, तब कोई ऊष्मा की हानि नहीं होता है।
ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy) के अनुसार, ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है।
और न ही नष्ट किन्तु ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।
अतः इस प्रश्न में विद्युत ऊर्जा का रूपातंरण गतिज ऊर्जा में होता है अतः कोई हानि नहीं होगी।
हालांकि यह एक आदर्श स्थिति (Ideal Condition) होती है जहाँ किसी प्रकार के ऊर्जा रूपातंरण में ऊर्जा का व्यय न हो।