4 फरवरी, 1922 को हुए चौरी-चौरा कांड (Chauri - Chaura Scandal) से क्षुब्ध होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
12 फरवरी, 1922 को बारदोली में हुई कांग्रेस की बैठक में आंदोलन को स्थगित करने का निर्णय लिया गया।
आंदोलन समाप्त करने के अपने निर्णय के बारे में गांधीजी ने यंग इंडिया (Young India) में लिखा है कि - आंदोलन हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यंत्रणा पूर्ण बहिष्कार यहां तक कि मौत भी सहने को तैयार हूं।