गांधी-इर्विन समझौता 5 मार्च, 1931 को संपन्न हुआ, इस समझौते के अनुसार -
(i) गांधीजी के नेतृत्व में कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित करने के लिए तैयार हो गई।
(ii) सभी युद्ध बंदियों, जिनके विरुद्ध हिंसा का आरोप नहीं था, को रिहा करने का आदेश।
(iii) विदेशी कपड़ों और शराब की दुकानों पर शांतिपूर्ण धरना देने का अधिकार
(iv) समुद्र तटीय प्रदेशों में बिना नमक कर दिए नमक बनाने की अनुमति।
(v) कांग्रेस द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार हो गई।
परंतु इस समझौते ने जनता को निराश किया क्योंकि भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को फांसी न दिए जाने की जनता की मांग को इसमें सम्मिलित नहीं किया गया था।