द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 7 सितंबर, 1931 को प्रारंभ हुआ, जिसमें महात्मा गांधी कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए थे। यह सम्मेलन सांप्रदायिक समस्या पर विवाद के कारण पूरी तरह असफल रहा।
दलित नेता भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की सुविधा की मांग की, जिसे गांधीजी ने अस्वीकार कर दिया।
अंततः सांप्रदायिक गतिरोध के कारण सम्मेलन 1 दिसंबर, 1931 को समाप्त घोषित कर दिया गया।