नाभिकीय संलयन अभिक्रिया E = mc2 के समीकरण पर आधारित है।
नाभिकीय संलयन (Nuclear Fission) : जब दो या दो से अधिक हल्के नाभिक संयुक्त होकर एक भरी नाभिक नाभिक बनाते है। व अत्यधिक ऊर्जा विमुक्त करते है तो यही नाभिकीय संलयन अभिक्रिया कहलाता है।
सूर्य एवं तारों से प्राप्त ऊर्जा एवं प्रकाश का स्त्रोत नाभिकीय संलयन ही है।
- नाभिकों को संलयित करने के लिए करीब 108K (केल्विन) के उच्च ताप तथा अत्यंत उच्च दाब की आवश्यकता होती है।
- हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन पर आधारित है। यह बम परमाणु बम की अपेक्षा 1,000 गुना अधिक शक्तिशाली होता है।
- नाभिकीय रिएक्टर में ईंधन के रूप में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 का प्रयोग किया जाता है।
- रिएक्टर में मंदक के रूप में भारी जल या ग्रेफाइट का प्रयोग किया जाता है। मंदक रिएक्टर में न्यूट्रॉन की गति को धीमा करता है।
- रिएक्टर में नियंत्रक छड़ के रूप में कैडमियम या बोरॉन छड़ का उपयोग किया जाता है।