महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में 7 दिसंबर, 1931 से प्रारंभ द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया, 28 दिसंबर, 1931 को वह लंदन (London) से खाली हाथ निराश होकर बंबई पहुंचे।
स्वदेश पहुंचने पर उन्होंने कहा कि यह सच है कि मैं खाली हाथ लौटा हूं, किंतु मुझे सन्तोष है कि जो ध्वज मुझे सौंपा गया था, मैंने उसे नीचे नहीं होने दिया और उसके सम्मान के साथ समझौता नहीं किया।