वायसराय इर्विन ने देश में सौहार्द्र का वातावरण उत्पन्न करने के उद्देश्य से 26 जनवरी, 1931 को गांधीजी को जेल से रिहा कर दिया। तेज बहादुर सप्रू (Tej Bahadur Sapru) तथा एम.आर. जयकर (M.R. Jacar) के प्रयत्नों से गांधी एवं इर्विन के मध्य 17 फरवरी, 1931 से दिल्ली में वार्ता आरंभ हुई।
5 मार्च, 1931 को दोनों के मध्य एक समझौता हुआ जो गांधी-इर्विन समझौता के नाम से जाना जाता है।