पूना समझौते का उद्देश्य था- दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देना (Representing The Depressed Classes)
24 सितंबर, 1932 को पूना में गांधीजी तथा डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के बीच एक समझौता हुआ, जिसके अनुसार विभिन्न प्रांतीय विधानमंडलों में दलित वर्गों के लिए 147 सीटें आरक्षित की गईं, जबकि सांप्रदायिक अधिनिर्णय में केवल 71 सीटों की ही व्यवस्था की गई थी तथा केंद्रीय विधानमंडल में 18 प्रतिशत सीटें दलित वर्गों के लिए आरक्षित की गई।