कि कहब हे सखि, कान्हक रूप पद का सारांश इस प्रकार है : राधा कहती है — हे सखी, कन्हैया के रूप-सौन्दर्य के बारे में क्या कहूँ यदि कहती हूँ तो सुनकर स्वप्नस्वरूप लगेगा अर्थात् विश्वास नहीं होगा।
उसकी देह ऐसी दिखायी देती है जैसे वह नया बादल हो। पीताम्बर धारण करने के कारण बादलों के बीच बिजली के चमकने की प्रतीति होती है।
घुंघराले बालों के उलझे होने से वे सौन्दर्य में कामदेव के समान दिखायी देता हैं। वहाँ जैसे केवड़े की सुगंध चतुर्दिक प्रसरित हो रही है जिससे त्रास अपेक्षाकृत अधिक बढ़ गया है।
विद्यापति कहते हैं कि कन्हैया को तो जैसे विधाता ने मदन का भण्डार ही बनाया है।