कर्नाटक के बाद संघर्ष का क्षेत्र दक्षिण से उत्तर-पूर्व की ओर बंगाल में स्थानांतरित हो गया।
बंगाल में अंग्रेजों ने कलकत्ता में अपनी फैक्ट्री स्थापित कर रखी थी। बंगाल मुगल साम्राज्य का एक धनी और बड़ा प्रांत था।
इसमें आधुनिक बिहार और उड़ीसा भी शामिल थे। मुगलों की केन्द्रीय सत्ता की कमजोरियों का लाभ उठाते हुए बंगाल के दीवान मुर्शिद कुली खाँ ने अपने को एक स्वतंत्र शासक घोषित कर लिया था।
वैसे वे मुगल बादशाह को नियमित रूप से राजस्व भेजते रहे। मुर्शिद कुली खाँ के बाद अलीवर्दी खाँ 1740 ई. में बंगाल का नवाब बना। उसने बंगाल में कुशल प्रशासन कायम किया।
अलीवर्दी खाँ ने यूरोप के व्यापारियों को हमेशा अपने नियंत्रण में रखने का प्रयास किया। उसके बाद उसका नाती सिराजुद्दौला नवाब बना।
सिराजुद्दौला के नवाब बनने पर उसके परिवार के सदस्यों के बीच साजिश और झगड़े शुरू हो गए। इन साजिशों ने ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) को बंगाल में हस्तक्षेप करने का अवसर दिया।