अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (American Freedom Struggle) विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है।
इसके निम्नलिखित तीन कारण थे -
- जार्ज तृतीय की निरंकुश नीति : इंग्लैण्ड के शासक जार्ज तृतीय ने सत्ता संभालते ही अमेरिकी उपनिवेश (American Colonies) के प्रति निरंकुश नीति अपनाई।
उसकी यह नीति इंग्लैण्ड में भी अलोकप्रिय थी। वह व्यक्तिगत शासन के सिद्धांत में विश्वास रखता था; जबकि इंग्लैण्ड में मंत्रिमंडल की शक्तियाँ बढ़ने लगी थी।
जार्ज तृतीय के अनुत्तरदायी रवैए ने उपनिवेशों के साथ उत्पन्न हुए संकट के शांतिपूर्ण समाधान की संभावनाओं को वस्तुतः ध्वस्त कर दिया जो स्वतंत्रता संग्राम हेतु उत्तरदायी कारक के रूप में सामने आया।
- प्रगति विरोधी आर्थिक नीति : सबसे गंभीर मतभेद आर्थिक कारणों (Economic Reasons) से उत्पन्न हुए थे।
उपनिवेशवाद (Colonialism) का बुनियादी सिद्धांत यह था, कि उपनिवेशों के आर्थिक शोषण और उनके संसाधनों के दोहन का अधिकार मातृदेश को है।
दूसरी ओर, उन्मुक्त व्यापार की धारणा विकसित हो रही थी; जिसमें राज्य द्वारा व्यापार (Business) को नियंत्रित करने का विरोध किया गया था।
इस सिद्धांत के अनुसार उपनिवेशवासी अपने व्यापार एवं अन्य क्रियाकलापों में इंग्लैण्ड के हस्तक्षेप को नापसंद करते थे। अतः उपनिवेशों में विकसित हो रहा मध्यम वर्ग इंग्लैण्ड के कुलीन वर्गीय शासन का अंत चाहता था।
- धार्मिक एवं सामाजिक व्यवस्था में मतभेद : अमेरिकी उपनिवेश एवं ब्रिटेन के बीच धार्मिक एवं सामाजिक स्तर पर भी मतभेद थे।
जहाँ एक ओर ब्रिटिशवासी ऐंग्लिकन मत को मानते थे; और चर्च के आधिपत्य में विश्वास करते थे; वहीं दूसरी ओर अमेरिकी जनता प्यूरिटन मतावलंबी थी।
धार्मिक उत्पीड़न से तबाह होकर प्रोटेस्टेंटों एवं प्यूरिटनों ने इंग्लैण्ड छोड़कर अमेरिका में शरण ली थी। उनमें प्रारंभ से ही जुझारूपन एवं स्वतंत्रता की भावना विद्यमान थे, तथा सैनिक क्षमता का प्रदर्शन भी वे कई बार कर चुके थे।
यही कारण था, कि अमेरिकावासी अपने मातृदेश के साथ संबंध नहीं रखना चाहते थे।
ब्रिटिश समाज सामंतवादी एवं कुलीन व्यवस्था पर आधारित थी; जबकि अमेरिकी समाज समतामूलक एवं प्रजातात्रिक व्यवस्था पर आधारित था।
इस प्रकार अमेरिका में धार्मिक एवं सामाजिक समरसता थी, जिसने स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया।