फ्रांस की क्रांति (French Revolution) का प्रभाव सिर्फ फ्रांस पर ही नहीं बल्कि यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा।
नेपोलियन फ्रांस में सुधार के के कार्यों को करते हुए अपने विजय अभियान के दौरान जब इटली और जर्मनी आदि देशों में पहुँचा, तब उसे वहाँ की जनता भी क्रांति का अग्रदूत कहकर स्वागत किया।
उसने निम्न देशों के नागरिकों को का संदेश देने का कार्य किया —
इटली पर प्रभाव : इटली इस समय कई भागों में बँटा हुआ था। फ्रांस की इस क्रांति के बाद इटली के विभिन्न भागों में नेपोलियन ने अपनी सेना एकत्रित कर लड़ाई की तैयारी की और इटली राज्य स्थापित किया। एक साथ मिलकर युद्ध करने से उनमें राष्ट्रीयता की भावना आई और इटली के भावी एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
जर्मनी पर प्रभाव : जर्मनी भी उस समय छोटे-छोटे 300 राज्यों में विभक्त था, जो नेपोलियन के प्रयास से 38 राज्यों में सीमित हो गया।
इस क्रांति के स्वतंत्रता, समानता एवं बन्धुत्व की भावना को जर्मनी के लोगों ने अपनाया और आगे चलकर इससे जर्मनी के एकीकरण को बल मिला।
पोलैंड पर प्रभाव : फ्रांसीसी क्रांति के अग्रदूत नेपोलियन ने पोलैंड में स्वतंत्रता की लहर फूंकी। पहले यह रूस, प्रशा और आस्ट्रिया के बीच बँटा हुआ था।
यद्यपि, पोलैंड को शीघ्र आजादी नहीं मिली, लेकिन उनमें राष्ट्रीयता का संचार इसी क्रांति ने किया। एक लम्बी अवधि के प्रयास के फलस्वरूप प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पोलैंड का स्वतंत्र राज्य कायम हो सका।
इंगलैंड पर प्रभाव : नेपोलियन का विजय अभियान इंगलैंड पर भी हुआ, जबकि इंगलैंड की आगे चलकर उसके पतन का कारण बना।फिर भी इस क्रांति का इतना अधिक असर इंग्लैंड में दिखा ही वहाँ की जनता ने भी सामन्तवाद के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी.
फलस्वरूप में सन् 1832 ई० में इंगलैंड में संसदीय सुधार अधिनियम पारित हुआ। जिसके द्वारा वहाँ के जमींदारों की शक्ति समाप्त कर दी गयी और जनता के लिए अनेक सुधारों का मार्ग प्रशस्त हुआ। भविष्य में, इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति के विकास में इस क्रांति का बहुत अधिक योगदान था।