1914 ई० में प्रारंभ हुए प्रथम विश्वयुद्ध के पूर्व के वर्षों में इस तरह से घटनाएं घटित से हो रही थी, जैसे- मोरक्को का प्रश्न हो या बाल्कन प्रायद्वीप का मुद्दा ये सभी युद्ध को निकट लाने का कार्य कर रहे थे। 1904 ई० में आपसी समझौते के फलस्वरूप ब्रिटेन को मिस्र में उपनिवेश स्थापित करने की छूट मिली और फ्रांस को मोरक्को प्राप्त हुआ। इससे जर्मनी को बड़ा क्षोभ हुआ। जर्मनी, मोरक्को की स्वतंत्रता की दुहाई दे रहा था और फ्रांस अपने हित के आगे अंधा बना हुआ था। 1911 ई० में फ्रांस ने मोरक्को के अधिकांश भाग पर अधिकार कर लिया।
1904 ई० में आस्ट्रिया ने तुर्की पर अपना अधिकार जमा लिया। इस क्षेत्र को सर्विया भी लेना चाहता था। वह बाल्कन क्षेत्र में एक संयुक्त स्लाव राज्य कायम करना चाहता था। इसके लिए उसे रूस का समर्थन प्राप्त था। रूस ने आस्ट्रिया को युद्ध छेड़ने की धमकी दी। इस पर जर्मनी खुलकर आस्ट्रिया के पक्ष में आ गया। अंततः रूस को पीछे हटना पड़ा, लेकिन इस घटना से रूस और जर्मनी में कटुता और बढ़ी। साथ ही जर्मनी, फ्रांस के प्रति भी उतना ही विषाक्त था। जर्मनी का चांसलर विस्मार्क फ्रांस को पंगु बना देना चाहता था। उसने फ्रांस के धनी प्रदेश अल्सास तथा लारेन पर अपना अधिकार कर लिया था। जर्मनी ने मोरक्को में भी फ्रांस का डटकर विरोध किया था। फलतः यह खाई बढ़ती गयी और इसने विश्वयुद्ध को और नजदीक किया।