भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विवादस्पद इल्बर्ट बिल (Ilbert Bill) का संबंध वायसराय लॉर्ड रिपन (Lord Ripon) से था।
वायसराय रिपन (1880-1884) के समय चर्चित 'इल्बर्ट विधेयक' प्रस्तुत किया गया था। इस विधेयक में फौजदारी दण्ड व्यवस्था में प्रचालित भेदभाव को समाप्त करने का प्रयत्न किया गया था।
इल्बर्ट विधेयक में भारतीय न्यायाधीशों को यूरोपीय मुकदमों को सुनने को अधिकार दिया गया था। जिस कारण इस विधेयक का विरोध अंग्रेजों द्वारा किया गया।
रिपन ने इल्बर्ट विधेयक पर हुए वाद-विवाद के कारण कार्यकाल पूरा होने से पूर्व ही त्यागपत्र दे दिया था।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने लार्ड रिपन को 'भारत के उद्धारक' की संज्ञा दी।