काली मृदा के बारे में लिखें। Kali Mrida Ke Bare Mein Likhen.
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काली मृदा के बारे में लिखें। Or, Kali Mrida Ke Bare Mein Likhen.

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इस मिट्टी का रंग काला (Black) होता है जो इसमें उपस्थित एल्युमीनियम (Aluminium) एवं  लौह यौगिक (Iron Compound) के कारण है । यह कपास की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है । जिस कारण इसे काली कपासी मृदा के नाम से भी जाना जाता है । भारत में यह मृदा लगभग 6.4 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर फैली हुई है। जो खास तौर पर दक्कन के लावा प्रदेश महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु राज्यों में विस्तृत हैं । इस मिट्टी का निर्माण मूल शैलों एवं ज्वालामुखी के बेसाल्ट लावा के विघटन से हुआ है । इस मृदा का स्थानीय नाम रेगुर भी है। इस मिट्टी की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें नमी धारण करने की क्षमता अत्यधिक होती है । यह मृदा कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम, पोटाश और चूना जैसे पौष्टिक तत्त्वों से परिपूर्ण होती है । किन्तु, फास्फोरस की कमी रहती है । शुष्क या गर्म मौसम में इसमें दरारें पड़ जाती हैं, जिससे अच्छी तरह से वायु का मिश्रण हो पाता है । किन्तु, गीली होने के साथ ही यह मृदा चिपचिपी हो जाती है, जिसे जोतना संभव नहीं हो पाता है । अत: मॉनसून के प्रथम बौछार में ही इसमें जुताई कर दिया जाता है। कम वर्षा के क्षेत्रों में भी अत्यधिक ऑक्सीकृत होने के कारण बिना सिंचाई के भी कपास की खेती के लिए यह मिट्टी उपयुक्त है। इसके अतिरिक्त इस मृदा में गन्ना, प्याज, गेहूँ एवं फलों की खेती अनुकूल मानी जाती है ।

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