हम जानते हैं कि हलकी गाड़ियों जैसे मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार आदि में तथा भारी मोटरगाड़ियों, जैसे ट्रक, बस, ट्रैक्टर आदि में क्रमशः पेट्रोल एवं डीजल का ईंधन के रूप में उपयोग होता है। पेट्रोल और डीजल प्राकृतिक संपदा से प्राप्त होते हैं जिसे पेट्रोलियम कहते हैं।
पेट्रोलियम एक काला, चिपचिपा एवं अरुचिकर (बदबूदार, foul) गंधवाला द्रव है जो जल से हलका तथा उसमें अविलेय होता है। जल से हलका होने के कारण यह जल के ऊपर तैरता रहता है।
आज के संसार में पेट्रोलियम (petroleum) आधुनिक सभ्यता की रक्षा-रस्सी (lifeline) है। वास्तव में, किसी देश की अर्थव्यवस्था (economy) काफी हद तक उसके पेट्रोलियम धन (wealth) पर निर्भर करती है। यही कारण है कि पेट्रोलियम को काला सोना (black gold) कहा जाता है।
पृथ्वी के भू-स्तर के नीचे अनेक भागों में एक विशेष गंधवाला काले रंग का चमकीला द्रव पाया जाता है, जो पृथ्वी के बाहर आते ही तेल-जैसा गाढ़ा चिपचिपा द्रव बन जाता है। यही द्रव पेट्रोलियम या कच्चा तेल (crude oil) कहलाता है।
यह भूगर्भ में अप्रवेश्य शैल (impervious rock) के नीचे छिद्रयुक्त शैल-स्तर में रहता है। चूंकि यह भूगर्भ से बालू-शिला (sandstone) की परतों को खोदकर निकाला जाता है, अतः इसे पेट्रोलियम कहते हैं।
पेट्रोलियम शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों पेट्रा (petra = rock = चट्टान) और ओलीयम (oleum = oil तेल) से मिलकर बना है जिसका अर्थ है चट्टानों का तेल। पेट्रोलियम में विभिन्न हाइड्रोकार्बनों के मिश्रण के अलावा कुछ नाइट्रोजन एवं गंधक (सल्फर) के यौगिक भी रहते हैं।