भारतीय संविधान की प्रकृति क्या है? Bhartiya Samvidhan Ki Prakriti Kya Hain?
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भारतीय संविधान की प्रकृति क्या है? Bhartiya Samvidhan Ki Prakriti Kya Hain?

(a) संघीय 

(b) संसदीय

(c) एकात्मक 

(d) प्रकृति में संघीय किंतु भावना में एकात्मक

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संविधानवेत्ताओं  ने संविधान  को मुख्यतया दो वर्गों में विभाजित किया है- (i) संघात्मक (federal)  तथा (ii)  एकात्मक (unitary) । 

एकात्मक संविधान वह संविधान है, जिसके अंतर्गत सारी शक्तियां एक  ही  सरकार में निहित होती हैं, जो प्रायः केंद्रीय सरकार होती है। इसमें प्रांतों को केंद्रीय  सरकार के अधीन रहना पड़ता है। 

इसके विपरीत संघात्मक संविधान वह संविधान है, जिसमें शक्तियों का  केंद्र  एवं राज्यों में विभाजन रहता है तथा दोनों सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं। 

भारतीय संविधान  की  प्रकृति के बारे में विधिवेत्ताओं में काफी मतभेद रहा है। संविधान निर्माताओं के अनुसार, भारतीय संविधान एक संघात्मक  संविधान  है। किंतु  प्रो. जेनिंग्स को भारतीय संविधान को  संघात्मक  मानने में आपत्ति है। 

प्रो. वेयर ने इसे अर्द्ध-संघीय  संविधान अथवा एक एकात्मक संविधान, जिसमें संघात्मक तत्व सहायक रूप में है, कहा है। जेनिंग्स के अनुसार, भारतीय संविधान में केंद्रीयकरण की सशक्त प्रवृत्ति है। अतः उपर्युक्त विश्लेषण से हम कह सकते हैं कि भारतीय संविधान न तो विशुद्ध संघात्मक और न ही विशुद्ध एकात्मक है, बल्कि यह प्रकृति में संघीय किंतु भावना में एकात्मक है।

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