परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र के कार्य को लिखे। Parnukampi Tantrika Tantra Ke Karya Ko Likhen
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परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र के कार्य निम्नलिखित हैं —

  1. यह आँख की पुतलियों (Pupil) को सिकोड़ता है।
  2. यह स्वेद  ग्रन्थियों से पसीने के स्त्राव को घटाता है।
  3. यह लार ग्रन्थियों के स्त्रवण को बढ़ाता है।
  4. यह हृदय स्पन्दन को घटाता है।
  5. यह सभी रूधिर वाहिनियों को फैलाता है।
  6. यह एड्रीनल स्त्रवण को कम करता है।
  7. यह मूत्राशय की पेशियों को सिकोड़ता है।
  8. यह लैक्राइमल ग्रन्थियों के स्त्रवण को कम करता है।
  9. यह रक्त में शर्करा के स्तर को कम करता है।
  10. यह आहारनाल के क्रमानुकुंचन को बढ़ाता है।
  11. यह पाचन ग्रन्थियों के स्त्रवण को बढ़ता है।
  12. यह गुदा के स्फिंक्टर को फैलाता है।
  13. इसकी क्रिया से बाल खड़े नहीं होते हैं।
  14. यह श्वशन दर को कम करता है।
  15. यह रक्त दाब को कम करता है।
  16. यह रूधिर में RBC की संख्या में कमी करता है।
  17. इस तंत्रिका तंत्र का प्रभाव सामूहिक रूप से आराम एंव सुख की स्थितियाँ उत्पन्न करता है।
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