पारसी सुधारक बी० एम० मालाबारी के प्रयत्नों के फलस्वरूप सन् 1891 में सम्मति आयु अधिनियम पारित किया गया। जिससे 12 वर्ष से कम आयु की कन्याओं के विवाह पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। बंगाली लड़की फूलमनि की मृत्यु के बाद 'Age Consent Act- 1891' में लाया गया था।
इसका बाल गंगाधर ने विरोध किया था, उनका मानना था कि सामाजिक सुधार में अंग्रेज का हस्तक्षेप उचित नहीं है, इस विषय पर हम सबको मिलकर विचार करना चाहिए।
नेटिव मैरिज एक्ट-1872 ई० में लाया गया था।
शारदा एक्ट- 1929 द्वारा लड़का के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र सीमा 18 वर्ष और लड़की के लिए 14 वर्ष निर्धारित किया गया था। समाज सुधारक हर विलास शारदा द्वारा 1929 में लाया प्रस्ताव पर कानून बनाया गया, जो 1 अप्रैल, 1930 को लागू किया गया।
हिन्दू विवाह अधिनियम- 1955 की धारा-5 (III) के अंतर्गत लड़का का न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और लड़की के लिए 18 वर्ष निर्धारित किया गया है।
भारत सरकार ने 1978 में लड़की की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष और लड़का का 21 वर्ष विवाह के लिए निर्धारित किया।
दिसम्बर, 2021 में कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर विवाह के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष करने की मंजूरी दी है। (संसद में इस पर विधेयक लाया जा सकता है।
बाल विवाह निषेध एक्ट-2006 को 1 नवम्बर, 2007 से लागू किया गया।