मंगल मिशन के पश्चात भारत की शुक्र (Venus) अंतरग्रहीय मिशन पर कार्य करने की योजना है।
मंगल पर भारत के अंतरिक्ष संगठन इसरो द्वारा दो मिशन भेजा जा चुका है। शुक्र ग्रह तक पहुँचने के लिए इसरो ने 2024 में लक्ष्य निर्धारित किया है।
आकार, भार, घनत्व, बनावट तथा गुरुत्व में समानता के कारण शुक्र को प्रायः पृथ्वी की जुड़वा बहन के रूप में वर्णित किया गया है। यह माना जाता है कि दोनों ग्रह 4.5 बिलियन वर्ष पूर्व एक सघन गैस के बादल में से एक ही समय पर बने, जिससे दोनों की उत्पत्ति में समानता है।
नासा ने पाइनियर प्रोजेक्ट और मेगलन प्रोजेक्ट शुक्र ग्रह पर भेजा था।
अन्तरिक्ष में प्रथम कदम 4 अक्टूबर, 1957 को रूस (तत्कालीन USSR) ने रखा।
ISRO का आगामी मिशन निम्न है —
चंद्रयान-3 (2022) → चंद्रयान-2 की तरह इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करने के लिए
RISAT–IB (2022) → यह एक रडार-इमेजिंग उपग्रह है, यह भू-मानचित्रण में प्राथमिक अनुप्रयोग और मिट्टी की नमी के लिए भूमि, महासागर और पानी की सतह के विश्लेषण के साथ एक भू-आधारित मिशन है।
आदित्या-L1 (जनवरी, 2022) → सौर कोरोना का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय और कोरोनोग्राफी अंतरिक्षयान मिशन है।
गगनयान (2023) → गगनयान एक भारतीय दलीय अंतरिक्षयान है, जो इसरो और एचएएल द्वारा संयुक्त रूप से बनाया है।
NISAR (2023) → यह पहला डुअल बैंड रडार इमेजिंग उपग्रह होने के लिए उल्लेखनीय है।
शुक्रयान-1 (2024) → शुक्र के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए
लूनर पोलर 2024 एक्सपोलेरेशन → चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का पता लगाने के लिए JAXA और ISRO द्वारा एक अवधारणा मिशन है।
मंगलयान-2 (2024) → मंगल ग्रह के प्रक्षेपण के लिए भारत का दूसरा इंटरप्लेनटरी मिशन है।