हिन्दू महासभा (Hindu Mahasabha) में 3 जुलाई, 1947 को भारत के विभाजन विरुद्ध "काला दिवस" के रूप में मनाया था।
तीन जून योजना मूलतः भारत की विभाजन की योजना थी। इस योजना में उस प्रक्रिया का उल्लेख किया गया था, तहत अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को सत्ता हस्तान्तरित की जानी थी और विशेष रूप से उस प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया था, जिसके द्वारा मुस्लिम बहुला प्रान्तों को यह चुनाव करना था कि वे भारत में रहेंगे या प्रस्तावित नवगठित देश अर्थात् पाकिस्तान में शामिल होंगे।
सीमांत गाँधी ने विभाजन को कांग्रेस की ओर से विश्वासघात माना तथा अनुभव किया कि 'खुदाई खिदमतगारों' को भेड़ियों के सामने फेंका जा रहा है।
हिन्दू महासभा ने भी इस योजना की जमकर आलोचना की।