सिखों के दूसरे गुरु, गुरु अंगद ( Guru Angad) थे। उनके का बचपन का नाम लहना था। इन्होंने गुरु नानक द्वारा प्रारम्भ की गई, लंगर व्यवस्था को स्थायी बना दिया। गुरुमुखी लिपि का आरंभ गुरु अंगद ने किया था।
सिख के छठे गुरू हरगोविन्द थे। गुरू हरगोविंद ने सिख को लड़ाकू जाति के रूप में बदल दिया।
गुरू अर्जुन देव को जहाँगीर ने 1606 ई० में मृत्यु दण्ड दिया।
गुरू तेगबहादुर सिख के 9वें गुरू थे। गुरू तेगबहादुर को औरंगजेब ने 1675 ई० में मृत्युदण्ड दिया।