नालियों के विषय में मैके लिखते हैं: निश्चित रूप से यह अब तक खोजी गई सर्वथा संपूर्ण प्राचीन प्रणाली है।
हर आवास गली की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य नाले गारे में जमाई गई ईंटों से बने थे और इन्हें ऐसी ईंटों से ढंका गया था जिन्हें सफ़ाई के लिए हटाया जा सके। कुछ स्थानों पर ढंकने के लिए चूना पत्थर की पट्टिका का प्रयोग किया गया था। घरों की नालियाँ पहले एक हौदी या मलकुंड में खाली होती थीं जिसमें ठोस पदार्थ जमा हो जाता था और गंदा पानी गली की नालियों में बह जाता था।
बहुत लंबे नालों में कुछ अंतरालों पर सफ़ाई के लिए हौदियाँ बनाई गई थीं। यह पुरातत्व का एक अजूबा ही है कि मलबे, मुख्यतः रेत के छोटे-छोटे ढेर सामान्यतः निकासी के नालों के अगल-बगल पड़े मिले हैं जो दर्शाते हैं..... कि नालों की सफ़ाई के बाद कचरे को हमेशा हटाया नहीं जाता था।
जल निकास प्रणालियाँ केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं थीं बल्कि ये कई छोटी बस्तियों में भी मिली थीं। उदाहरण के लिए, लोथल में आवासों के निर्माण के लिए जहाँ कच्ची ईंटों का प्रयोग हुआ था, वहीं नालियाँ पकी ईंटों से बनाई गई थीं।