प्रकाश का विवर्तन : प्रकाश के पथ में यदि किसी अपारदर्शी अवरोधक को रख दिया जाए तो इसके पीछे एक गया बनती है जिसकी आकृति अवरोधक के अनुरूप होती है।
प्रकाश के अजुरेखीय संचरण के सिद्धांत के अनुसार, सोत के बिदुवत रहने पर गया की सीमा रेखा को तीक्ष्ण होना चाहिए, परंतु विशिष्ट अवस्थामओ में ऐसा नही होता है।
वास्तव में ज्यामितीय छाया की सीमा के भीतरी भाग में प्रदीप्ति एकाएक समाप्त नहीं हो जाती है, बल्कि कुछ प्रदीप्ति रहती है जो भीतर की ओर धीरे-धीरे घटती हुई समाप्त होती है और अंततः छाया पूर्णतः अधकारमय हो जाती है।
ज्यामितीय छाया के क्षेत्र में प्रकाश का प्रवेश तभी संभव है जब अवरोधक के किनारे से होकर जानेवाली प्रकाश की किरणें मुड़ जाएँ। अवरोधक के किनारे से प्रकाश-तरंगों के मुड़ने की घटना को प्रकाश का विवर्तन कहा जाता है।