नेत्र की समंजन क्षमता से आप क्या समझते हैं? Netra Ki Samanjan Kshamta Se Aap Kya Samajhte Hain?
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नेत्र की समंजन क्षमता से आप क्या समझते हैं? Netra Ki Samanjan Kshamta Se Aap Kya Samajhte Hain?

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नेत्र की समंजन क्षमता

आँख के लेंस की फोकस दूरी की स्वयं समायोजनकारी क्रिया को आँख की समंजन-क्षमता कहते हैं।

सिलियरी मांसपेशियों की संकुचन-क्रिया से निलंबक स्नायुओं द्वारा आँख के लेंस पर दाब पड़ता है। इस दाब से लेंस की वक्रता घटती है और त्रिज्या बढ़ती है। 

जब सिलियरी मांसपेशियाँ पूरी तरह तनाव-मुक्त रहती हैं तब आँख के लेंस की मोटाई सबसे कम रहती है। तब नेत्र-लेंस का फोकस रेटिना पर पड़ता है।

दूर से आती समांतर किरणें फोकस पर अभिसरित होती हैं। अतः, आँख दूरस्थ वस्तु को देख पाती है। समीप की वस्तु देखते समय सिलियरी मांसपेशियाँ सिकुड़कर आँख के लेंस के बाहरी तलों को अधिक वक्र बना देती हैं।

जिससे लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है और तब बिंब का प्रतिबिंब पुनः रेटिना पर बनता है। नेत्र-लेंस की इस स्वयं-समायोजनकारी क्रिया को आँख की समंजन-क्षमता कहते हैं।

आँख की समंजन-क्षमता की एक सीमा होती है। सामान्य नेत्र के लिए निकट-बिंदु 25 cm पर तथा दूर-बिंदु अनंत पर होते हैं।

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