उभयलिंगी पुष्प में, पुमंग (Androecium) तथा जायांग (Gynoecium) के अलग-अलग समय पर परिपक्व होने की घटना पृथकपक्वता या भिन्नकालपक्वता (Dichogamy) कहलाती है।
यह दो प्रकार के होते हैं —
(i) पूर्वस्त्री पक्वता में अण्डाशय परागकोश से पहले पकता है।
(ii) पूर्व पक्वता में परागकोश अण्डाशय से पूर्व पकते हैं।
- धान, गेहूँ, जौ, सरसो, तिल, अलसी, दलहन आदि में उभयलिंगी पुष्प पाये जाते हैं।
- नारियल, अरंडी, मक्का, आम, अंगूर, खीरा, लॉकी आदि के पुष्प उभयलिंगाश्रयी प्रकार के होते हैं।
- भारतीय भ्रूण विज्ञान का पिता प्रो० पी० महेश्वरी को कहा जाता है।
- बाह्यदलपुंज एवं दलपुंज को पुष्प के सहायक अंग की उपमा दी गई है।
- आवृतबीजी पौधों में पुंकेसर को नर जननांग तथा स्त्रीकेसर को मादा जननांग कहा जाता है।