मनुष्य के लिए शोर की सहन सीमा करीब करीब 85 डेसीबल है।
- साधारण बातचीत में ध्वनि की तीव्रता का स्तर 30-60 डेसीबल होता है।
- 80 डेसीबल के शोर में लगातार रहना हानिकारक सिद्ध होता है।
- 90 डेसीबल शोर को बर्दाश्त करने की अधिकतम सीमा है।
- ध्वनि की तीव्रता को डेसीबल में जबकि ध्वनि की आवृत्ति को हर्ट्ज में मापा जाता है।
- ध्वनि एक अनुदैर्ध्य तरंग है। इसके अध्ययन को Acoustics (ध्वानिकी) कहते हैं। इसका संचरण ठोस में सबसे अधिक तथा गैस में सबसे कम होता है।
- मनुष्य का कान 20 Hz से 20000 Hz तक के ध्वनि को सुन सकता है। इसे श्रव्य ध्वनि कहते हैं।
- विभिन्न माध्यमों से गुजरने पर ध्वनि की चाल और तरंगदैर्ध्य बदल जाती है लेकिन आवृत्ति नहीं बदलती है।
- मनुष्य के कान पर ध्वनि का प्रभाव 1/10 सेकंड तक रहता है।
विभिन्न माध्यम में ध्वनि की चाल —
माध्यम |
चाल 0°C पर m/s में |
वायु |
332 |
हाइड्रोजन |
1269 |
जल (आसुत) |
1493 |
समुद्री जल |
1533 |
काँच |
5640 |
लोहा |
5130 |
एल्युमिनियम |
6420 |