सूचना का अधिकार (Right of Information) जन आंदोलन की सफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
केंद्र सरकार (Central Government) ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में बनाया।
संपूर्ण देश में यह अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 से लागू कर दिया गया।
इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं :
- सुरक्षा एवं गुप्तचर संगठनों (Spying Agency) को छोड़कर केंद्र एवं राज्य सरकारों के सभी मंत्रालय (Ministry) तथा विभाग पंचायती राज संस्थाएं तथा नगर निकाय सरकार से वित्त पोषित संगठनों को अपने दस्तावेज इस प्रकार रखने हैं, कि उनकी आवश्यकता पड़ने पर उपलब्धता आसानी से हो सके।
- प्रत्येक संस्थान अपने संगठन, कार्य एवं उत्तरदायित्व, महत्वपूर्ण नीतियों, नियोजित खर्च तथा अन्य बातों की जानकारी प्रकाशित कर दें।
- केंद्र एवं राज्य स्तर पर एक उच्च स्तरीय स्वतंत्र इकाई के रूप में सूचना आयोग की स्थापना की जाए। ऐसे आयोग सूचना प्राप्त करने के अधिकार को प्रोन्नत करेंगे और अधिनियम के प्रावधानों को लागू करेंगे। अधिनियम में सूचना आयोग को ऐसी शक्तियां प्रदान की गई है, जो लोक सूचना अधिकारियों को मांगी गई गैर सूचना देने के लिए बाध्य करें।
- जो व्यक्ति लोक संस्थाओं से कोई सूचना प्राप्त करना चाहता है, तो उसे लिखित रूप में आवेदन करना होगा और इसके लिए निश्चित राशि अदा करनी होगी।
- अधिकारियों को सूचना प्राप्त करने संबंधी आवेदन प्राप्त होने के 48 घंटे के भीतर इस पर कार्यवाही करनी होगी। जनसूचना यथासंभव एक महीने के अंदर देनी होगी।
- सूचना प्राप्त करने के अधिकार में अभिलेखों की जांच पड़ताल तथा आंकड़ों की प्रति प्राप्त करना भी सम्मिलित है।