शेर खाँ (शेरशाह) ने हुमायूँ को चौसा (1539) एवं बिलग्राम (1540) में हराकर उसे ईरान की ओर भागने के लिए बाध्य किया ।
बिलग्राम का युद्ध 1540 ई० में हुमायूँ और शेरशाह के बीच हुआ, जिसे कन्नौज के युद्ध के नाम से भी जाना जाता इस युद्ध द्वारा शेरशाह दिल्ली का शासक बनने में सफल हुआ।शेरशाह का बचपन का नाम फरीद खाँ था।
हुमायूँ ने फारस के सहयोग से मच्छीवारा और सरहिन्द का युद्ध जीत कर (मई-जून 1555 ई० में) जुलाई, 1555 ई० में दिल्ली-आगरा पर अधिकार कर लिया।
हुमायूँनामा - गुलबदन बेगम द्वारा लिखी गई हुमायूँ की जीवनी है। हुमायूँ ज्योतिष विद्या में भी विश्वास करता था।