चोल अभिलेखों में उल्लेखित भूमि की विभिन्न कोटियों के अनुसार वेल्लनवगाई को गैर-ब्राह्मण किसान स्वामी की भूमि कहा जाता था।
मंदिर को दिया गया रख-रखाव के भूमि को देवदान चोल काल में कहा जाता था। विद्यालय के रख-रखाव के भूमि को शालभोग कहते थे। ब्राह्मणों को दान में दिया गया भूमि को चोल काल में ब्रह्मदेय कहा जाता है। चोल काल में भू-राजस्व आय का मुख्य स्रोत था।