भारतीय संसद (Indian Parliament) ने सन् 1985 ई. में दल बदल की बढ़ती प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए दल-बदल विरोधी अधिनियम (Anti Defection Law) बनाया।
इसमें ऐसी व्यवस्था है, कि संसद या राज्य विधान मण्डल (Legislature) के सदस्य यदि पार्टी के निर्देशों की अवहेलना कर मतदान करता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी।
इसके अलावा यदि कोई सदस्य अपनी पार्टी से अलग होता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है।
बशर्ते कि उनकी संख्या सदन में उस दल के सदस्यों की कुल संख्या का एक-तिहाई से कम हो।
यदि दल के कुल सदस्य संख्या का एक तिहाई या उससे अधिक सदस्य दल के निर्देशों की अवहेलना करता है, या दल से अलग हो जाता है, तो उन पर यह अधिनियम लागू नहीं होता है। सदन के अध्यक्ष को इसके सम्बन्ध में निर्णय का अधिकार है।