सर्वोच्च न्यायालय के गठन और इसके अधिकार तथा कार्यों का संक्षेप में वर्णन करें।
154 views
7 Votes
7 Votes

सर्वोच्च न्यायालय के गठन और इसके अधिकार तथा कार्यों का संक्षेप में वर्णन करें। Sarvochh Nyayalay Ke Gathan Aur Iske Adhikar Tatha Karyon Ka Sankshep Mein Varnan Karen. Or, Describe the Composition, Power and Functions of Supreme Court in Hindi.

1 Answer

1 Vote
1 Vote
 
Best answer

भारत में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गई। इसका मुख्यालय नई दिल्ली (New Delhi) में है।

शुरु में सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 8 थी, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और 7 अन्य न्यायाधीश थे।

वर्तमान में न्यायाधीशों की संख्या 31 है, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा 30 अन्य न्यायाधीश हैं।

सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश वही हो सकता जो —

  • भारत का नागरिक हो।
  • कम से कम पाँच वर्ष तक किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका हो।
  • कम-से-कम दस वर्ष तक किसी उच्च न्यायालय में वकालत कर चुका हो। तथा
  • राष्ट्रपति की राय में कानून का ज्ञाता हो।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है। राष्ट्रपति अन्य न्यायाधीशों को बहाल करते समय मुख्य न्यायाधीश से भी सलाह लेता है।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की उम्र तक अपने पद पर बने रहते हैं। इससे पहले वे त्याग-पत्र देकर हट सकते हैं।

संसद द्वारा किसी न्यायाधीश को हटाये जाने का प्रस्ताव पास होने पर राष्ट्रपति उसे हटा सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 100,000 रुपये तथा अन्य न्यायाधीशों को 90,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है।

इसके अलावा उन्हें रहने के लिए मकान तथा अन्य भत्ते भी मिलते हैं।

अवकाश प्राप्त करने के बाद न्यायाधीशों को पेंशन भी मिलता है।

वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन. वी रमना (N.V Ramana) हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार को निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता है —

1. प्रारम्भिक मुकदमा (Preliminary Trial) : सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित प्रारंभिक मुकदमों का फैसला करता है।

दो या दो से अधिक राज्यों के बीच का मुकदमा।

एक ओर केन्द्रीय सरकार और एक या एक से अधिक राज्य तथा दूसरी ओर एक या एक से अधिक राज्यों के बीच का मुकदमा।

केन्द्र और राज्यों के बीच का मुकदमा।

2. अपील सम्बन्धी मुकदमा (Appeal Case) : यहाँ फौजदारी, दीवानी तथा की अपीलें सुनी जाती हैं। उच्च न्यायालय का प्रमाण-पत्र मिलने पर ही अपील हो सकती है।

3. परामर्श सम्बन्धी अधिकार (Consultancy Rights) : राष्ट्रपति कानूनी मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से सलाह ले सकता है। पर वह सर्वोच्च न्यायालय की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है।

4. पुनर्विचार करने का अधिकार (Right to Reconsideration) : सर्वोच्च न्यायालय को अपने दिए गये निर्णयों पर फिर से विचार करने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय अपने निर्णय में सुधार भी कर सकता है।

5. मौलिक अधिकारों की रक्षा (Protection of Fundamental Rights) : मौलिक अधिकारों की रक्षा का भार सर्वोच्च न्यायालय पर है। इसके लिए वह अपना आदेश या लेख जारी करता है।

इन लेखों के अंतर्गत बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा, उत्प्रेषण आदि के नाम आते हैं।

6. संविधान की रक्षा (Protect The Constitution) : यह संविधान का रक्षक है। यदि संसद या राज्य का विधान मण्डल कोई ऐसा कानून (Law) बना दे जो संविधान के विरुद्ध हो तो सर्वोच्च न्यायालय उस असंवैधानिक घोषित करता है। इसे न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार कहते हैं।

7. निरीक्षण का अधिकार (Right of Inspection) : यह अपने अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण करता है।

RELATED DOUBTS

Peddia is an Online Question and Answer Website, That Helps You To Prepare India's All States Boards & Competitive Exams Like IIT-JEE, NEET, AIIMS, AIPMT, SSC, BANKING, BSEB, UP Board, RBSE, HPBOSE, MPBSE, CBSE & Other General Exams.
If You Have Any Query/Suggestion Regarding This Website or Post, Please Contact Us On : [email protected]

CATEGORIES