जैनियों (Jain) द्वारा अपने पवित्र ग्रन्थों के लिए सामूहिक रूप से आगम शब्द का प्रयोग किया जाता है । जैनधर्म के साहित्य को आगम कहते है।
जैनधर्म के प्राचीनतम साहित्य (पुस्तक) 14 पूर्वांग है । इसके अतिरिक्त 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण 6 छंदसूत्र, 4 नन्दी सूत्र और अनुयोग सूत्र आता है । भगवती सूत्र और आचारांग सूत्र में महावीर की जीवनी मिलता है ।
कल्पसूत्र, भद्रबाहु ने लिखी। कल्पसूत्र में सभी तीर्थंकर का जीवनी है, जिसे जैन धर्म का विश्वकोष कहा जाता है।