जैन धर्म दो संप्रदाय में बंटे थे श्वेतांबरऔर दिगंबर कहलाए।
लगभग 300 पूर्व मगध में 12 वर्षों का भिक्षण अकाल पड़ा था जिसके कारण भद्रबाहु अपने शिष्यों के साथ कर्नाटक चला गया। स्थूलभद्र अपने शिष्यों के साथ वही रहे। भद्रबाहु के वापस लौटने बाद मगध के साधुओं से उसका गहरा मतभेद हो गया जिसके परिणाम-स्वरूप जैन धर्म दो संप्रदायों में बट गया श्वेतांबर एवं एवं दिगंबर स्थूलभद्र के शिष्य श्वेतांबर (श्वेत कपड़े पहनने वाला) भद्रबाहु के शीश दिगंबर (नगर रहने वाला) कहलाए।