पिछली शताब्दी में ही देश ने सहकारिता की जरूरत को समझाा तथा ग्रामीण क्षेत्रों हेतु 1904 ई० में सहकारिता साख समिति विधान पारित किया गया।
अब गाँव या नगर में कोई दस व्यक्ति मिलकर सहकारी साख समिति की स्थापना कर सकते थे। 1912 ई. के अधिनियम द्वारा 1904 ई० अधिनियम में संसोधन करते हुए सहकारी समितियों की कार्य प्रणाली में सुधार लाया गया।
अब अन्य उद्देश्यों के लिए भी सहकारी समितियाँ स्थापित की जा सकती थीं। पुनः इसमें सुधार हेतु 1914 ई० में मैलेगन समिति को नियुक्ति हुई।
1919 ई. में सहकारिता केन्द्रीय दायित्व से मुक्त होकर राज्य के क्षेत्रान्तर्गत आ गयी। 1929 ई. के आर्थिक मंदी से प्रभावित होने के बावजूद 1935 ई० में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना के बाद सहकारिता आन्दोलन को बल मिला। आज भी सहकारी बैंक गाँवों में मददगार सिद्ध हो रहे हैं।