जब पुष्प के अतिरिक्त पौधे के किसी अन्य भाग से पौधे उगाये जाते हैं तो यह कायिक प्रवर्धन (Vegetative propagation) कहलाता है। केला, नारंगी गुलाब कायिक प्रवर्धन द्वारा बढ़ता है।
आवृत्तबीजी में निषेचक त्रिक संलयन जबकि अन्य वर्ग के पौधों में द्विसंलयन होता है।
बिना निषेचन हुए फल के विकास को अनिषेक फल (Parenthocarphy) कहते हैं। अनिषेक फल बीजरहित होते हैं। जैसे—केला, अंगूर, गूलर, कदम आदि।