द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के परिणाम निम्नलिखित बिंदुओं के द्वारा जाना जा सकता है—
धन-जन की हानि : इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। यह इतिहास का सबसे विनाशकारी युद्ध था। फासीवादियों ने यूरोप के एक बड़े भाग को बहुत बड़ा कब्रिस्तान बना रखा था।
लगभग 60 लाख यहूदियों का जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। जापान पर की गई बमबारी और इससे हुए क्षति का आकलन, संभव नहीं था।
इस युद्ध में जितने लोग काल कलवित हुए उसका इतिहास में कोई उदाहरण नहीं मिलता। द्वितीय विश्वयुद्ध में 5 करोड़ से अधिक लोग मौत के घाट उतार दिए गए। इसमें लगभग 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे।
लगभग 1.2 करोड़ लोग यंत्रणा शिविरों या फासिवादियों के आतंक के कारण मारे गये। पोलैंड के 60 लाख लोग मारे गये जो कुल जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत थी।
इससे भयावह नुकसान सोवियत संघ का हुआ। उसके दो करोड़ लोग मारे गये, जो आबादी का दसवाँ हिस्सा था। जर्मनी के लगभग 60 लाख से अधिक मारे गए जो आबादी का लगभग दसवाँ भाग था।
यूरोपीय श्रेष्ठता और उपनिवेशों का अंत: द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद एशिया महाद्वीप से यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता लगभग समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत, श्रीलंका, बर्मा, मलाया, हिंदेशिया, मिस्र इत्यादि ने स्वतंत्रता पाई। यूरोपीय श्रेष्ठता का भी अंत हुआ। कहा जाता है कि इंगलैंड के राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता था, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से वह डूबने लगा।
इंगलैंड की शक्ति का ह्रास और रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि : प्रत्यक्ष रूप से तो युद्ध में जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई थी, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध में इंगलैंड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंगलैंड विश्व की सबसे बड़ी शक्ति नहीं रह गया। इंगलैंड के उपनिवेश मुक्त हो गए, इंगलैंड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए और इसके बदले में अमेरिका और रूस अपनी असीम आर्थिक संसाधनों के साथ विश्व की राजनीति में शक्तिशाली देश के रूप में उभरे।
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना : द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत संयुक्त राष्ट्र संघ का निर्माण कर विश्व शांति को कायम करने की चेष्टा गई की। द्वितीय विश्वयुद्ध ने शांति और अशांति के दो निर्णायक केन्द्र परमाणु बमों का विकास व शस्त्रीकरण और संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना को सामने लाया, जो आज भी सम्पूर्ण विश्व को नियंत्रित-निर्देशित कर रहे हैं।
विश्व में गुटों का निर्माण: पहले विश्व की राजनीति में इंगलैंड छाया हुआ था, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व साम्यवादी और पूँजीवादी खेमे में बँट गया। साम्यवादी खेमा का नेतृत्व सोवियत रूस कर रहा था, तो पूँजीवादी खेमा का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था। एक गुटनिरपेक्ष राज्यों के संघ के रूप में तीसरा खेमा सामने आया, यह मूलतः नवोदित स्वतंत्र और विकासशील राष्ट्र थे। पूँजीवादी राष्ट्र और उनकी साम्राज्यवादी मंशा का स्वरूप भी बदल गया। अब पूँजीवादी राष्ट्र सीधे-सीधे उपनिवेशों की स्थापना से बचने लगे और औपनिवेशिक देशों के आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे। इस प्रकार साम्राज्यवाद का भी स्वरूप बदल गया।