अधोलिखित कारण है—
1. दक्षिणी मेसोपोटामिया में 5000 ई० पूर्व में गाँवों का विकास शुरू हो गया था। इन्हीं गांवों में से कई शहरों का विकास हुआ। इनमें से कुछ शहर मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए।
2. शुरू में बसने वालों ने अपने गांवों में कुछ चुने हुए स्थानों पर मंदिरों का निर्माण और पुनर्निर्माण प्रारंभ कर दिया गया। वैसे, इन प्रारम्भ में बसने वालों के मूल स्थान का पता नहीं है।
3. सबसे पहला मंदिर एक छोटा सा देवालय था जो कच्चे ईंटों का बना था। मंदिरों में कई तरह के देवी-देवताओं के वास थे।
4. इन मंदिरों का निर्माण ईंटों से किया जाता था और समय गुजरने के साथ-साथ इनका आकार बड़ा होता गया। मन्दिरों के खुले आंगन के चारों तरफ कई कमरे बनाये जाते थे।
5. आरम्भिक मन्दिर साधारण घरों की तरह ही होते थे। असलियत में मंदिर किसी देवी अथवा देवता का घर ही होता था। उदाहरण के लिए उर (Ur) चन्द देवता को लिया जा सकता था। इन्नाना प्रेम और युद्ध की देवी थी। किन्तु मन्दिरों तक साधारण घरों में कुछ अंतर भी थे। मन्दिरों के बाहरी दीवारों कुछ विशेष अंतरालों के उपरांत मंदिर अंदर और बाहर की तरफ मुड़ी हुई होती थीं जबकि साधारण घरों की दीवारें ऐसी नहीं होती थी।