लोएस चट्टान परतदार चट्टान का उदाहरण है।
1821 में राइन नदी घाटी में बने मिट्टी के जमाव के लिए पहली बार 'लोएस' शब्द का इस्तेमाल किया गया था। लोएस मिट्टी प्रायः अधिक सरंध्री, बहुत उपजाऊ और कृषि के लिए उपयुक्त होती है। लोएस में क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार, अभ्रक तथा कैल्साइट इत्यादि खनिज पाये जाते हैं।
ऑक्सीकरण की वजह से लोएस चट्टान का रंग पीला या भूरा होता है।
दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
आगरा का किला तथा दिल्ली का लाल किला बलुआ पत्थर नामक अवसादी चट्टानों का बना है।
अवसादी चट्टान का रूपांतरण
(i) बलुआ पत्थर - क्वार्टजाइट
(ii) चूना पत्थर - बलुआ पत्थर
(iii) लिग्नाइट कोयला - एंथ्रासाइट कोयला