1907 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस अध्यक्ष रासबिहारी घोष (Rashbihari Ghosh) थे। 1907 में सूरत काँग्रेस अधिवेशन के समय काँग्रेस का प्रथम बार विभाजन हुआ था जिसमें कांग्रेस नरम दल और गरम दल में टूट गया था।
सूरत काँग्रेस फूट का मूख्य कारण गरम दल और नरम दल के बीच रणनीति को लेकर भारी मतभेद होना था। सूरत काँग्रेस अधिवेशन में विभाजन का तत्कालीन कारण अध्यक्ष पद को लेकर हुआ। गरम दल वाले लाला लाजपत राय या किसी गरम दल के नेता को अध्यक्ष बनाना चाहते थे।
1916 में काँग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजुमदार ने किया। इस अधिवेशन में नरम दल और गरम दल वापस एकजुट हो गए।