वे समस्त व्यक्ति अथवा व्यवसायिक प्रतिष्ठान जो विकास के काम में लगे हुए हैं ,और जो अपने कार्यों के लिए रुपये -पैसे की संस्थागत मांग करते हैंं। वे सभी इन वित्तीय संस्थाओं के ग्राहक है !अथवा आर्थिक विकास के लिए वित्तीय संस्थाओं की सहभागिता आवश्यक है! जिसके बिना विकास की क्रिया संपन्न नहीं की जा सकती।