अदालत में सरकारी वकील की भूमिका (Role Of Public Prosecutor In Court)—
किसी आपराधिक उल्लंघन को जनता के विरुद्ध माना जाता है। इसका मतलब यह है कि वह अपराध केवल पीड़ित व्यक्ति को ही नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि पूरे समाज के प्रति अपराध होता है।
जैसे की माना दहेज के लिए प्रताड़ित करने वाला आरोपी लक्ष्मण और उसके परिवार के खिलाफ़ यह मुकदमा राज्य की ओर से दायर किया गया । इसीलिए इस मुकदमे को राज्य बनाम लक्ष्मण कुमार एवं अन्य' का नाम दिया गया।
अदालत में सरकारी वकील राज्य का पक्ष प्रस्तुत करता है। सरकारी वकील की भूमिका तब शुरू होती है जब पुलिस जाँच पूरी करके अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर देती है।
सरकारी वकील की इस जाँच में कोई भूमिका नहीं होती। उसे राज्य की ओर से अभियोजन प्रस्तुत करना होता है। न्यायालय के पदाधिकारी के रूप में उसकी ज़िम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष रूप से अपना काम करे और अदालत के सामने सारे ठोस तथ्य, गवाह और सबूत पेश करे। तभी अदालत सही फ़ैसला दे सकती है।