विक्रम संवत् गुप्त शासक चन्द्रगुप्त - II ने आरंभ किया था।
चन्द्रगुप्त - II को इतिहास में देवगुप्त, देवराय एवं विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है।
चन्द्रगुप्त - II ने शक राजा रूद्रसिंह-III को पराजित करने के उपलक्ष्य में 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की थी । चन्द्रगुप्त-II के दरबार में नवरत्न रहते थे, जिनमें कालीदास, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, धनवंतरी जैसे विद्वान शामिल थे। मेहरौली स्थित लौह स्तम्भ का निर्माण चन्द्रगुप्त - II ने ही करवाया था।
स्कंदगुप्त के शासनकाल में हूणों का आक्रमण हुआ था।