पश्चिम बंगाल में होने वाले मानसून पूर्व की वर्षा को कालवैशाखी (नार्वेस्टर्स) कहते हैं।
मार्च से मध्य जून के ग्रीष्म ऋतु के दौरान पश्चिमोत्तर भारत का उच्च दाब धीरे-धीरे निम्न दाब में बदल जाता है। ग्रीष्म ऋतु के दौरान मानसून पूर्व की वर्षा होती है, जो औसत वार्षिक वर्षा का 10% ( लगभग ) होता है।
असम में इस वर्षा को चाय वर्षा, पश्चिम बंगाल में काल वैशाखी, केरल में आम्र वर्षा एवं कर्नाटक में कॉफी वर्षा एवं चेरी ब्लॉसम कहा जाता है।