भारत में गेहूँ के उत्पादन एवं वितरण (Production and Distribution of Wheat in India) —
गेहूँ (Wheat) : भारत के खाद्य फसलों में चावल के बाद गेहूँ का ही स्थान है। कुल कृषि की जाने वाली भूमि के लगभग 9 प्रतिशत भाग में इसकी खेती होती है।
गेहूँ रबी की फसल (Rabi Crops) है, जो अक्टूबर से दिसम्बर तक बोयी जाती है, तथा मार्च से मई तक काटी जाती है।
यह पंजाब तथा उत्तर प्रदेश के लोगों का मुख्य भोजन है। इसकी खेती के लिए ठंडी (Cold) तथा शुष्क जलवायु (Dry Climate) आवश्यकता होती है।
अधिक वर्षा (Rain) इसके लिए हानिकारक होती है। अत: गेहूँ की खेती मुख्यतः की उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान तथा बिहार में होती है।
प्रथम महायुद्ध (First World War) के पूर्व विश्व के प्रमुख गेहूँ उत्पादक देशों में भारत का स्थान था। उस समय गेहूँ का निर्यात (Wheat Export) भी होता था।
किन्तु आजकल तो भारत को प्रत्येक वर्ष विदेशों से अत्यधिक मात्रा में गेहूँ का आयात भी करना पड़ता है।
देश-विभाजन के फलस्वरूप गेहूँ उत्पन्न करने के कुछ प्रमुख क्षेत्र पाकिस्तान (Pakistan) में चले गये जिससे भारत में गेहूँ का अभाव हो गया।
प्रो० वकील के अनुसार —
अविभाजित भारतवर्ष 35 प्रतिशत गेहूँ की उपज पाकिस्तान में तथा 65 प्रतिशत उपज हिन्दुस्तान में होती है। आज भी विश्व में अन्य देशों की तुलना में गेहूँ की प्रति एकड़ औसत उपज 1700 किलोग्राम तथा रूस की 1050 किलोग्राम की तुलना में भारत में इसकी प्रति एकड़ औसत उपज केवल 790 किलोग्राम ही है।
अतः देश में गेहूँ के उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रति एकड़ उपज में वृद्धि लाना नितांत आवश्यक है।
इसके लिए अच्छे बीज तथा उत्तम खाद का प्रयोग, कीड़ों से पौधों की रक्षा तथा सिंचाई (Irrigation) आदि की व्यवस्था करनी होगी।