नरसिम्हन समिति (1991) ने भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गिरती लाभ प्रदता के लिए बैंकों की ब्याज रूपी आय में गिरावट को प्रमुख रूप से चिह्नित किया था । ब्याज रूपी आय में कमी का कारण कुल जमा का एक बड़ा भाग सापेक्षतः नीची ब्याज दर पर सांविधिक तरलता अनुपात (SLR ) एवं नकद आरक्षण अनुपात (CRR) के रूप में रखना था। इसके अतिरिक्त सामाजिक बैंकिंग के अधीन कुल जमा का काफी बड़ा भाग (कुल जमा का 40%) प्राथमिक क्षेत्र को कम ब्याज दर पर देना पड़ता था। बैंकों की कुल जमा का मात्र 30% भाग ही बाजार ब्याज दर पर उधार दिया जाता रहा है।
उपर्युक्त परिप्रेक्ष्य में नरसिम्हन कमेटी ने SLR को घटाकर 25% तथा CRR को कम करके 5% स्तर तक लाने की सिफारिश के साथ-साथ बैंकों को उधार की न्यूनतम ब्याज दर निश्चित करने की स्वतंत्रता प्रदान करने की सिफारिश की सरकार ने कमेटी के उपर्युक्त सुझावों को स्वीकार कर लिया।
अतः विकल्प (c) सही होगा ।