अर्थशास्त्र नामक सुप्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना चाणक्य ने की थी जिन्हें कि कौटिल्य अथवा विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है।
इस प्रसिद्ध ग्रन्थ में 15 खण्ड, 150 अध्याय, 180 उपविभाग तथा 6000 श्लोक हैं।
इस सुप्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय विद्वान प्रारम्भ से ही न केवल आध्यात्मिक प्रश्नों पर विचार करते आये हैं।
बल्कि उन्होंने भौतिक विषयों पर भी विचार किया है। इस ग्रन्थ का महत्त्व प्लेटो और अरस्तु की महान कृतियों से कम नहीं है।
विद्वानों ने इस ग्रन्थ की तुलना मैकियावेली के ग्रन्थ दि प्रिंस से की है। कौटिल्य को भारत का मैकियावेली भी कहा जाता है।