दक्कन के पठार के अधिकांश हिस्से में काली मिट्टी (Black Soil) पाई जाती है।
काली मिट्टी का निर्माण बेसाल्ट चट्टानों के टूटने-फूटने से होती है। इसमें आयरन, चूना, एल्युमिनियम एवं मैग्नेशियम की बहुलता होती है। इस मिट्टी का काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइट एवं जीवाश्म की उपस्थिति के कारण होता है। इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है। काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है।
- कपास की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त काली मिट्टी है।
- मिट्टी के अध्ययन के विज्ञान को मृदा विज्ञान (Pedology) कहा जाता है।
- लैटेराइट मिट्टी चाय, इलायची एवं काज की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
- चूना का इस्तेमाल कर लाल मिट्टी की उर्वरता बढ़ायी जाती है।
- लाल मिट्टी का लाल रंग लौह-ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है।