वैदिक कर्मकांड से सब जनता त्रस्त होने पर इंसान आगमी जन्म के फेर में पड़कर वर्तमान जन्म में चिन्तित रहने लगा, ऐसे में चार्वाक मुनि ने अपना दर्शन लोगों को दिया कि जब तक जियो, सुख से जियो और कर्ज लेकर घी पियो।
इस प्रकार भौतिक वादी चार्वाक ने मानव को परलोक की चिन्ता छोड़ इहलोक में आनंदपूर्वक जीवन जीने का मार्ग बताया।
उनका कहना था न आत्मा है, न पूनर्जन्म है और न ही कोई परलोक। परलोक की चिन्ता छोड़कर सामने जो भी सुख है उनका उपभोग करो।